मूवी रिव्यू - एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

ek ladkiमूवी रिव्यू          :    एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

निर्माता              :    विधु विनोद चोपड़ा

डायरेक्टर         :    शैली धर चोपड़ा

कलाकार           :   अनिल कपूर , जूही चावला, सोनम कपूर , राजकुमार राव  

रेटिंग                :    स्टार (2.5/5)

फिल्म समीक्षा  :   आरती सक्सेना , एडिटर अमित बच्चन

आज कल बालीवुड मे विभिन्न तरीको के विषयो पर फिल्मे बन रही है जो काफी सराही भी जा रही है । इसी बात को मददे नजर रखते हुए निर्देशक शैली धर चोपड़ा सोनम कपूर अनिल कपूर और राजकुमार राव जैसी बड़ी स्टार कास्ट के साथ समलैंगिकता पर आधारित फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा लेकर प्रस्तुत हुई है । काफी अरसे पहले जब ये गाना आया था जो आज भी सुनने मे अच्छा लगता है । 1942 लव स्टोरी का ये मधूर गाना अनिल कपूर साहब गाते नजर आये थे। जो उन्होंने एक लड़की के लिये गाया था । लिहाजा इसी गाने पर पूरी फिल्म बन गई लेकिन अब ये गाना उनकी बेटी सोनम कपूर भी एक लड़की के लिये ही गा रही है। एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा -। कानून और समाज के कुछ पढे लिखे लोगो ने समलैंगिकता को जहां मान्यता दे दी है। वही कुछ लोग इसे गलत भी मानते हैं । आज भी अगर किसी बाप को पता चले की उसकी बेटी किसी लड़की से प्यार करती है तो उसका रिएक्शन कुछ ऐसा ही होता है जैसे उसके धर एक हिजड़े ने जनम ले लिया । जिसे समाज स्वीकार नही करेगा । हाला कि भले ही समाज इसे स्वीकार करे या ना करे लेकिन ऐसा बरसो से होता आ रहा है। और आगे भी होता रहेगा । क्योंकि हम आजाद देश के नागरिक है और हम जो चाहे कर सकते हैं फिर वो समलैगिंकता ही क्यो ना हो । भले ही इसे एक बिमारी या प्राकृतिक कमी मानी गई हो लेकिन ये एक दुर्भाग्य भी है कि आज इस तरह के लोगो की तादाद ज्यादा बढ भी रही है।

कहानी —- फिल्म की कहानी पारंपरिक अंदाज मे शुरू होती है जहां पर स्वीटी अर्थात सोनम कपूर एक लड़के से बचते हुए भागते हुए एक थियेटर हाॅल मे छिप जाती है और वंहा उसकी मुलाकात होती है नाटक लेखक साहिल मिर्जा राजकुमार राव से मुलाकात होती हैं साहिल स्वीटी को पहली नजर मे ही दिल दे बैठते हैं और स्वीटी को लड़के से बचाने के लिये ना सिर्फ भागने मे मदद करते हैं बल्कि खुद भी उसके पीछे पीछे प्यार मे पागल होकर उसके गांव मे थियेटर करने पहुच जाते हैं जिसमे उनका साथ देती हैं उनकी थिएटर की छात्रा कम षैफ जुही चावला । जो कि ओहदे से तो खाना सप्लाई करती है लेकिन दिल से वो हीरोइन बनना चाहती हैं। गांव जाकर पता चलता है कि सोनम मोगा गांव के सबसे अमीर इंसान बलबीर चैधरी की बेटी है जो अपनी बुुआ और भाई सहित सपरिवार के साथ मोगा गांव मे रहती है। लिहाजा साहिल स्वीटी से दोस्ती करने के चक्कर मे जब मोगा आता है तो पता चलता है कि वो समलैंगिकता की शिकार है और उसे लड़कों मे नही बल्कि लड़कियों में दिलचस्पी है। स्वीटी कूहू अर्थात रेजिना क्रेसिडा से प्यार करती हे और उससे शादी करने के चक्कर मे लंदन भाग कर जाना चाहती है। ये जानने के बावजूद साहिल उसका साथ देता है और एक नाटक तैयार करता है । जिसमे उसकी भावनाओ को उजागर करता है। ये नाटक देख कर मोगा गांव के लोग तो धेाड़े की तरह बिदक जाते हैं लेकिन अनिल कपूर अर्थात बलबीर चैधरी अपनी बेटी की भावनाओ को समझते हैं और उसके इस रिश्ते को दिल से कबूल कर लेते हैं।

डायरेक्शन—  फिल्म का डायरेक्शन शैली धर चोपड़ा ने किया है । बतौर निर्देशक ये उनकी पहली फिल्म है । जिसमे उन्होंने समलैंगिकता को हाइलाइट किया है । समलैंगिकता पर आधारित कहानी मे उन्होने अपनी तरफ से संवेदनशील बनाने की पूरी कोशिश की है लेकिन वो इसमे कामयाब नही हो पाई हैं क्योंकि एक तो फिल्म का डायरेक्शन काफी धीमी गति से आगे बढता है। दुसरा फिल्म की मुख्य कलाकार सोनम कपूर इस किरदार के लिये बिल्कुल भी फिट नही बैठती । आधी फिल्म तक तो फिल्म का विषय  क्या है ये ही समझ नही आता ।और आधी फिल्म के बाद जब संस्पेस खुलता है तो वो नाटकीय लगता है। अगर इस फिल्म मे सोनम की जगह सनी लिओन होती तो शायद फिल्म सुपर हिट हो जाती । क्योंकि वो इस किरदार के साथ कम अभिनय जानते हुए भी सही तरीके से न्याय कर पाती । ओवर एंड ऑल निर्देशक ने सब्जेक्ट तो बोल्ड उठाया है लेकिन बाकी सब कुछ ढीला नजर आता है। फिर चाहे वो डायरेक्शन हो संवाद हो स्क्रीनप्ले हो । या संगीत ही क्यो ना हो ।

संगीत—  फिल्म का संगीत बहुत जयादा धमाकेदार नही हैं । एक गाना गोरी नाल इश्क अच्छा बना है बाकी सब ठीक ठीक है।

अभिनय —  अभिनय की अगर बात करे तो एक लड़की को देखा मे अनिल कपूर, जुही चावला ,राजकुमार राव , ने अपना रोल अच्छे से निभाया है। मगर फिल्म की मुख्य हीरोइन सोनम कपूर के अभिनय ने पूरी तरह निराश किया है। कई सीन मे तो वो रो रही है, लेकिन उनकी आंखो मे आसूं ही नही है। यंहा तक की खुबसूरती पर भी ध्यान नही दिया गया है। वो बहुत ही ठंडी और सीधी सादी नजर आती है। उससे ज्यादा खूबसूरत तो फिल्म मे जूही चावला नजर आ रही हैं  फिल्म की दुसरी हीरोइन जिससे स्वीटी प्यार कर बैठती है । कूहू अर्थात रेजीना क्रेसिडा उनको तो फिल्म मे एक या दो सीन मे ही दिखाया गया है वो भी किसी अंदाज मे सैक्सी नजर नही आती । बल्कि धरेलू लुक वाली नजर आती है । सोनम और रेजीना इस किरदार मे बिल्कुल भी फिट नही बैठ रहे हैं । इसी वजह से फिल्म का विषय  अलग होते  हुए भी फिल्म मे कोई खास कमाल नजर नही आता ।

फिल्म देखे या ना देखे —-  एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - बोल्ड विषय पर आधारित फिल्म है जिसमे कुछ अश्लील तो नही है । ऐसे विषय पर फिल्म होने के बावजदू एक दम साफ सुथरी धरेलू फिल्म है। लिहाजा अगर आप इसे खुले दिमाग के साथ मनोरंजन के आधार पर देखना चाहते हैं तो जरूर एक बार ये फिल्म देख सकते हैं।




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